फर्नीचर हार्डवेयर में ब्रांड के चलन बढ़ने के साथ प्रौधोगिकी यानी तकनीकी का भी चलन बढ़ रहा है। एक घर के इंटीरियर को एस्थेटिक अपीयरेंस देने के साथ डिजाइनर फर्नीचर से खुबसूरत लुक देने के काम में युवा आर्किटेक्चर और इंटीरियर डिज़ाइनर नई नई तकनीकी अपना रहे है, उसी तरह डोर पैनल में भी नयी नयी तकनीकी इस्तेमाल किया जा रह है। क्योकि आज की युवा पीढ़ी को हर सामान सबसे अलग और यूनिक चाहिए, वो चाहे ब्रांड हो या फिर नॉन ब्रांड। यही वजह है कि ब्रांडेड के साथ नॉन ब्रांडेड फर्नीचर हार्डवेयर में नई टेक्नोलॉजी अब ट्रेंड करने लगा है।
चावड़ी बाज़ार शालीग्राम इंटरप्राइजेज के ओनर शिवम् गर्ग ने बताया कि समय के साथ अब डोर पैनल हार्डवेयर के सामानों में बहुत चेंजिंग आ चुका है। कोविड ने जहां लोगों की सोच को बदलने का काम किया वहीँ मैन्युफैक्चर्रस को भी नए नए तकनीकी के इस्तेमाल करने पर मजबूर किया। लाखो रुपये खर्च करने के बाद एक घर बनवाने वाला कंज्यूमर्स अब पारंपरिक या साधारण डोर पैनल हार्डवेयर के सामान नहीं लेना चाहता, बल्कि वो फैन्सी और मजबूत सामान चाहता है। साथ ही अब कंज्यूमर्स की पहली पसंद फैन्सी के साथ मजबूत और लम्बे समय तक चलने वाला सामान है। ऐसे में डोर हैंडल्स में अब पीवीडी कोटिंग का चलन तेज होता जा रहा है।
वर्तमान में डोर पैनल हार्डवेयर में खासकर डोर हैंडल्स में पीवीडी कोटिंग के साथ रोजगोल्ड, गोल्ड, ब्लैक और ग्रे कोटिंग के ही हैंडल्स का चलन है। सीपी या मैट कलर अब लगभग गुजरे जमाने की बात हो गयी जबकि यही कोविड के पहले तक बाज़ार की पहली पसंद हुआ करती थी। मगर, बाज़ार में पीवीडी कोटिंग के हल्के हैंडल्स का चलन ज्यादा तेजी से बढ़ा है, क्योकि यह कम से कम दस साल तक खराब नहीं होता, जबकि नार्मल हैंडल्स जल्दी खराब हो जाते हैं।
चावड़ी बाज़ार में करीब चालीस साल से डोर पैनल हार्डवेयर का कारोबार कर रहे सचिन हार्डवेयर के प्रोप्राइटर सचिन गुप्ता ने FDT को बताया कि डोर हैंडल्स में जमीन आसमान का अंतर आ चूका है, पहले एलमेस के फिटिंग आई, फिर अल्मुनियम की फिटिंग का चलन हुआ करता था मगर, जैसे जैसे लोगों की परचेजिंग पॉवर बढ़ रही है उसी हिसाब से उनकी च्वाइस भी डिफरेंट होती जा रही है।
उन्होंने बताया कि छोटे शहरों, ग्रामीण इलाकों और कस्बों से आने वाले छोटे रिटेलर्स या डीलर्स की च्वाइस अब बदलती जा रही है। उनका कहना है कि आगे से आने वाले कंज्यूमर्स अब साधारण डोर हैंडल्स को तवज्जो नहीं दे रहे बल्कि उन्हें फैन्सी और मजबूत सामान चाहिए होता है, क्योकि उनका कहना है कि आज के कंज्यूमर्स के लिए अमाउंट मैटर नहीं करता। ऐसे में हम मैन्युफैक्चरर्स से समय-समय पर नए तकनीकी से निर्मित सामानों की मांग करते है, और मैन्युफैक्चरर्स भी डिमांड के मुताबिक़ प्रोडक्ट बना रही है।
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