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आर्किटेक्ट के नाम पर पौधारोपण वन संरक्षण और सोशल इंजीनियरिंग को दे रहा बढ़ावा, समाज को बना रहा आत्मनिर्भर

FDT Bureau

आर्किटेक्ट के नाम पर पौधारोपण वन संरक्षण और सोशल इंजीनियरिंग को दे रहा बढ़ावा, समाज को बना रहा आत्मनिर्भर

नागालैंड के तिजित प्लांट से ग्रीनप्लाई इंडस्ट्रीज लि. ने एफएससी फारेस्ट मैनेजमेंट के बाद ग्रीन-राइज प्रोजेक्ट की शुरुवात की है, जिसमें आर्किटेक के नाम पर पौधारोपण किया जा रहा है। कंपनी इस योजना के जरिये राज्य में ना केवल सोशल इंजीनियरिंग के तहत लोगों को आत्मनिर्भर बना रही बल्कि वन सरंक्षण मॉडल को भी बढ़ावा दे रही है। 

ग्रीनप्लाई तिजित, नागालैंड। नागालैंड में इंटीग्रेटेड फारेस्ट मैनेजमेंट मिशन और ग्रीन-राइज के तहत के ग्रीनप्लाई इंडस्ट्रीज लि. समाज को आत्मनिर्भर बनाने के साथ वन संरक्षण के सस्टेनेबिलिटी के लिए बड़े पैमाने पर काम कर रही है। फारेस्ट मैनेजमेंट मिशन के जरिये कंपनी करीब 3400 एकड़ में प्लांटेशन कर रही है। वहीँ कंपनी ग्रीन-राइज प्रोजेक्ट के जरिये राज्य के उन आर्किटेक्ट के नाम पर पौधारोपण कर रही है, जो वुड पैनल इंडस्ट्री से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हैं। 

 

ग्रीन-राइज प्रोजेक्ट दे रहा सोशल वर्क को बढ़ावा  

नागालैंड के भौगोलिक स्थिति पर नजर डाले तो पूरा राज्य पहाड़ों और जंगलों के बीच बसा हुआ है। ऐसे में वहाँ के जंगल की खूबसूरती को बनाए रखने के लिए जितनी पेड़ की कटाई जरुरी है उतना ही पौधारोपण भी जरुरी है। ऐसे में ग्रीनप्लाई इंडस्ट्रीज लि. की मुहीम फ़ॉरेस्ट मैनेजमेंट और ग्रीन राइज राज्य के लोगों को ना केवल आत्मनिर्भर बना रही है, बल्कि जंगल के सस्टेनबिलिटी के लिए बेहद फ्रूटफुल साबित हो रहा है।  

ग्रीनप्लाई इंडस्ट्रीज के कमर्शियल हेड अमित कुमार यादव ने बताया कि कंपनी इस योजना के पहले चरण में 210 आर्किटेक के नाम पर 210 प्लांट लगाए है। इस योजना में कंपनी मोन डिस्ट्रिक्ट के तिजित ग्रामीण एरिया में एक एकड़ में पौधारोपण की है। कंपनी पहले चरण में उड़ीसा राज्य के करीब 210 आर्किटेक को लिया है, इसके बाद बिहार, पश्चिम बंगाल, झारखण्ड और एमपी राज्य के आर्किटेक को जोड़ने का काम किया जायेगा। यहाँ लगने वाले हर पेड़ का एक बारकोड होगा, जिसमें आर्किटेक का नाम, पता, प्लान्टेशन का डेट और समय के साथ पेड़ के प्रजाति का नाम, और कांटेक्ट नंबर अंकित होगा।  

अमित कुमार की माने तो यहाँ जो भी पौधे लगाए जा रहे है, उन्हें पेड़ बनने में 7 से 8 साल का समय लगता है। इसके बाद इसकी हार्वेस्टिंग की जायेगी। लेकिन उसके पहले आर्किटेक से विचार विमर्श किया जाएगा। उस दरम्यान टिम्बर के दाम जो होंगे उसी कीमत पर कंपनी पेड़ों को खरीदेगी। मगर उसकी  कीमत को सीधे आर्किटेक्चर को देने के बजाय किसी संस्था या स्कूल में डोनेट करेगी। कंपनी ने इस मिशन को 3 एकड़ में विस्तार करेगी जिसमें लगभग 1400 पौधों का प्लान्टेशन किया जाएगा। इसमें युकलिप्टुस, मिलिया दुबिया, दुआबन्गा (खोखन), कैनारियम और टेर्मिनालिया पौधों का प्लान्टेशन करेगी।   

 

एफएससी फारेस्ट मैनेजमेंट समाज को बना रहा आत्मनिर्भर 

तिजित प्लांट के जनरल मैनेजर मि. ए के दुबे ने बताया कि कंपनी ने साल 2014 में फारेस्ट मैनेजमेंट मिशन की शुरुवात की थी। लेकिन दो साल के बाद कंपनी दुनिया के निजी वन संरक्षक संस्था फारेस्ट स्टीवर्डशिप काउंसिल (ऍफ़एससी) से जुड़ गयी। यह एक अंतर्राष्ट्रीय गैर सरकारी संगठन है जो दुनिया भर के जंगलों के प्रबंधन को लेकर काम कर रही है। वर्तमान में इस संस्था से मोन डिस्ट्रिक्ट के 60 से अधिक किसान अपना रजिस्ट्रेशन करवा चुके है। 

इस मिशन के तहत कंपनी किसानों और स्थानीय लोगों को संपर्क करती है, जिनके पास अपनी लैंड होती है। उन लोगों को मोटिवेट कर उन्हें पौधे उपलब्ध करवाया जाता है। मोन डिस्ट्रिक्ट में अभीतक लगभग 3400 एकड़ में प्लान्टेशन किया जा चूका है, जिसमें 16 लाख से ज्यादा पेड़ हैं। इनकी ट्रैकिंग जीपीएस के जरिये होती है। इनके मुताबिक़ कंपनी पौधे देने के बाद किसी भी तरह का रिटर्निंग बांड नहीं भरती। इसके इसके अलावा 100 से ज्यादा ऐसे किसान और निजी जमीन के मालिक भी कंपनी के फारेस्ट मैनेजमेंट से जुड़े हुए है। 

 

कंपनी अपने नर्सरी में तैयार करती है अलग – अलग स्पीसीज के पौधे 


 कंपनी इस प्लान्टेशन के लिए खुद की नर्सरी भी तैयार कर रखी है. इस नर्सरी में करीब आधा दर्जन अलग अलग स्पीसीज के पौधों को तैयार किया जाता है | इसके लिए कंपनी इन स्पीसीज के बीज इकठ्ठा करती है , और उसे छोटे छोटे प्लांट पॉट में डालकर उसका पौधा तैयार करती है | इस नर्सरी में एक पौधा तैयार करने में करीब 6 से 8 रुपये का खर्च आता है |  कंपनी एक तो उन लोगों को ये प्लांट उपलब्ध करवाती है जिनके पास अपनी जमीन है और वो किसी निजी संस्था या सरकारी संस्था से नहीं जुड़े होते है | ऐसे में एक तरह जहां राज्य में ग्रीन मिशन को बल मिल रहा है वहीँ ऐसे लोगों की कमाई का रास्ता भी खोल रही है, जिनके पास अर्निग के कोई साधन नहीं है।   

 

प्रति सीएफटी के हिसाब से कंपनी देती है पेड़ों की कीमत  

इनके अनुसार 1 एकड़ में करीब 455 के आसपास पौधारोपण किया जाता है। सामान्यतः एक पेड़ में कंपनी को 12 से 15 क्यूबिक फिट (CFT) स्टेम मिलता है।  1 सीएफटी में 1.8 mm के थिकनेस की करीब 16 स्क्वायर मीटर के आसपास प्लाईवुड के लिए विनियर निकलता है। करीब 7 से 8 साल में हार्वेस्टिंग के तैयार होने वाले इन पेड़ों की गर्थ 80 से 100 cm के आसपास होती है। किसान / ओनर को 1 सीएफटी वुड में मिनिमम 250 रुपये से 400 रुँपये मिलता है, मतलब एक पेड़ में 3000 रुपये से 6000 रुपये तक आसानी से मिल जाता है। इनकी माने तो साल 2022 – 2023 में कंपनी को 8 से 9 लाख सीएफटी स्टेम उपलब्ध हुआ, जबकि साल 2023 – 24 में 12 लाख सीएफटी के आसपास स्टेम मिलने का अनुमान लगाया जा रहा है। 

 

निष्कर्ष 

वुड पैनल इंडस्ट्री के सस्टेनबिलिटी के लिए पौधारोपण की एक्टिविटी बेहद जरुरी है, और इसके लिए अब वुड पैनल इंडस्ट्री से जुडी कम्पनियां खुद के जमीन पर प्लांटेशन का कार्य कर रही है। लेकिन ग्रीनप्लाई इंडस्ट्रीज लि. का ग्रीन - राइज और एफएससी फ़ॉरेस्ट मैनेजमेंट ना केवल सोशल इंजीनियरिंग को बढ़ावा दे रहा है बल्कि वन संरक्षक मुहीम को भी आगे बढ़ा रहा है।

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